शून्य का कोण 360 ड़िग्री यानि पूर्ण/पूर्णता का प्रतीक ।
इसे हीन (Zero) दृष्टि से ना देखें ।
व्यवहार में भी यह शून्य जिस अंक के अंग लग जाता है, उसकी कीमत दहाई, सैकड़ादि में बढ़ा देता है ।
जिसने संसार को शून्य कर लिया, उसने पूर्णता/निर्वाण को प्राप्त कर लिया ।
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यह कथन सत्य है कि शून्य का कोण 360 डिग्री यानी पूर्ण और पूर्णता का प्रतीक है। अतः इसको यानी ज़ीरो को हीन दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। व्यवहार में भी जिस अंक में लग जाता हैं तो उसकी कीमत दहाई और सैकड़ों में बढ़ा देता है।
अतः जिसने संसार को शून्य कर लिया, उसने पूर्णता और निर्वाण को प्राप्त कर लेता है। जीवन में शून्य की भावना होना चाहिए जिससे निर्वाण को प्राप्त कर सकता हैं।
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यह कथन सत्य है कि शून्य का कोण 360 डिग्री यानी पूर्ण और पूर्णता का प्रतीक है। अतः इसको यानी ज़ीरो को हीन दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। व्यवहार में भी जिस अंक में लग जाता हैं तो उसकी कीमत दहाई और सैकड़ों में बढ़ा देता है।
अतः जिसने संसार को शून्य कर लिया, उसने पूर्णता और निर्वाण को प्राप्त कर लेता है। जीवन में शून्य की भावना होना चाहिए जिससे निर्वाण को प्राप्त कर सकता हैं।