संक्लेश से बचने के लिये…
निमित्त-बुद्धि छोड़कर उपादान-बुद्धि/दृष्टि अपनाओ ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी या जिसके बिना कार्य न हो उसे निमित्त कहते हैं।
उपादान का मतलब किसी कार्य के होने में जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन करे वह उपादान कारण है।
बुद्वि का अर्थ ज्ञान है या जिसके द्वारा अर्थ जाना जाना जाए उसे कहते हैं।
अतः संकलेश से बचने के लिए दो उपाय बताएं है कि निमित्त में बुद्वि छोड़कर होना होता है जबकि उपादान में बुद्वि और दृष्टि का उपयोग किया जाता है। अतः सबसे उचित संकलेश से बचने के लिए उपादान ही श्रेष्ठ होता है।
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निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी या जिसके बिना कार्य न हो उसे निमित्त कहते हैं।
उपादान का मतलब किसी कार्य के होने में जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन करे वह उपादान कारण है।
बुद्वि का अर्थ ज्ञान है या जिसके द्वारा अर्थ जाना जाना जाए उसे कहते हैं।
अतः संकलेश से बचने के लिए दो उपाय बताएं है कि निमित्त में बुद्वि छोड़कर होना होता है जबकि उपादान में बुद्वि और दृष्टि का उपयोग किया जाता है। अतः सबसे उचित संकलेश से बचने के लिए उपादान ही श्रेष्ठ होता है।