कुसंगति के प्रभाव से बचे रहने के लिये बहुत पुरुषार्थ करना होता है।
लेकिन सुसंगति के बावजूद व्यक्ति बिगड़ जाए तो पुरुषार्थहीन ही कहलायेगा।
ऐसे वातावरण में यदि प्रगति नहीं की तो पुरुषार्थ की भारी कमी।
चिंतन
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चिंतन में जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अच्छी संगति होना एवं परमार्थ कार्य में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
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चिंतन में जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अच्छी संगति होना एवं परमार्थ कार्य में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।