मोहर में अक्षर उल्टे लिखे होते हैं (हमारे संस्कार),
पर स्याही की (सु)संगति पाकर उसकी छाप सीधी आती है ।
(डॉ.पी.एन.जैन)
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यह कथन सत्य है कि मोहर यानी सील पर अक्षर उल्टे लिखे रहते हैं लेकिन स्याही की संगति मिलने पर उसकी छाप सीधी आती है।अतः जीवन में भी जो संस्कार मिलते हैं लेकिन जब गुरुयो की संगति मिलती है तब संस्कार की छाप सीधी समझ में आती है।जीवन में अच्छे संस्कार के लिए गुरुयो की संगति होना आवश्यक है।
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यह कथन सत्य है कि मोहर यानी सील पर अक्षर उल्टे लिखे रहते हैं लेकिन स्याही की संगति मिलने पर उसकी छाप सीधी आती है।अतः जीवन में भी जो संस्कार मिलते हैं लेकिन जब गुरुयो की संगति मिलती है तब संस्कार की छाप सीधी समझ में आती है।जीवन में अच्छे संस्कार के लिए गुरुयो की संगति होना आवश्यक है।