सम्बंध 3 प्रकार के –
1. संयोग – जैसे पति/पत्नि
2. संश्लेष – एक दूसरे में प्रवेश, जैसे आत्मा/कर्म
3. तादात्म – कभी अलग न हों, जैसे गुण/गुणी
पं .रतनलाल बैनाड़ा जी
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4 Responses
उक्त कथन बिल्कुल सत्य है कि जीवन में सम्बंध तीन प्रकार के ही होते हैं।प़थम जो संयोग से ही बनते हैं जैसे पति और पत्नि , माता पिता आदि बनते हैं।दूसरा जो संश्र्लेष होते हैं एक दूसरे में प़वेश करते हैं जैसे आत्मा और कर्म। तीसरा तादात्म जो कभी अलग नहीं होते हैं जैसे गुण और गुणी होना।
अतः जीवन में ऐसे गुण होना चाहिए जो मृत्यु के बाद सभी को याद रह सकें।
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उक्त कथन बिल्कुल सत्य है कि जीवन में सम्बंध तीन प्रकार के ही होते हैं।प़थम जो संयोग से ही बनते हैं जैसे पति और पत्नि , माता पिता आदि बनते हैं।दूसरा जो संश्र्लेष होते हैं एक दूसरे में प़वेश करते हैं जैसे आत्मा और कर्म। तीसरा तादात्म जो कभी अलग नहीं होते हैं जैसे गुण और गुणी होना।
अतः जीवन में ऐसे गुण होना चाहिए जो मृत्यु के बाद सभी को याद रह सकें।
“संश्लेष” mein alag ho sakte hain, na?
हाँ,
तप के ताप से कर्म आत्मा से, अग्नि के ताप से पानी दूध से ।
Okay.