जब तक घोड़े को बांधा नहीं जाता, तब तक उसकी परीक्षा नहीं होती है ।
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संयम—व्रत व समिति का पालन करना,मन वचन काय की अशुभ प्रवृत्ति का त्याग करना तथा इन्द्रियों को वश में रखना ही संयम है। यह कथन सत्य है कि जब तक घोड़े को बांधा नहीं जाता है तब तक उसकी परीक्षा नहीं हो सकती है। जीवन में संयम धर्म का पालन करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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संयम—व्रत व समिति का पालन करना,मन वचन काय की अशुभ प्रवृत्ति का त्याग करना तथा इन्द्रियों को वश में रखना ही संयम है। यह कथन सत्य है कि जब तक घोड़े को बांधा नहीं जाता है तब तक उसकी परीक्षा नहीं हो सकती है। जीवन में संयम धर्म का पालन करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।