पंचमकाल समुद्र है, हुंडावसर्पिणी उसमें तूफान,
संयम का दीपक जलाये रखना, देव/शास्त्र/गुरु की नाव का सहारा है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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संयम का तात्पर्य व़त व समिति का पालन करना,मन वचन काय की अशुभ प्रवृत्ति का त्याग करना तथा इन्द़ियों को वश में रखना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में कोई काल हो, लेकिन संयम का दीपक जलाये रखना आवश्यक है तथा देव शास्त्र गुरु की नाव का सहारा है, जीवन का उद्धार तभी संभव होगा।
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संयम का तात्पर्य व़त व समिति का पालन करना,मन वचन काय की अशुभ प्रवृत्ति का त्याग करना तथा इन्द़ियों को वश में रखना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में कोई काल हो, लेकिन संयम का दीपक जलाये रखना आवश्यक है तथा देव शास्त्र गुरु की नाव का सहारा है, जीवन का उद्धार तभी संभव होगा।