संसार/परमार्थ

4 वर्षीय देवांशी जैन को उसके मामा ने 100 रू. का नोट भेंट किया ।
देवांशी ने नोट को उल्टा पकड़ा और वापिस करते हुये कहा – मुझे बुद्धु बना रहे हो, ये तो 001 का नोट है ।

संसार और परमार्थ की चीजें हमेशा एक दूसरे की उल्टी होती है ।

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