आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने संसार एवं मोक्ष का विस्तृत उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए वैराग्य भावना बहती रहनी चाहिए ताकि मोक्ष की कामना बनी रहे।
‘जो ज्ञान मोह के सहित है उसे पारलौकिक तो कह ही नहीं सकते, आध्यात्मिक ही कहेंगे और जो मोह के बिना है उसको आध्यात्मिक।’ Aapke is comment me ‘आध्यात्मिक’ do baar aa gaya. Ise check karenge, please ?
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने संसार एवं मोक्ष का विस्तृत उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए वैराग्य भावना बहती रहनी चाहिए ताकि मोक्ष की कामना बनी रहे।
Yahan par laukik gyaan ki baat ho rahi hai ya adhyatmik? Ise clarify karenge, please ?
जो ज्ञान मोह के सहित है उसे पारलौकिक तो कह ही नहीं सकते, आध्यात्मिक ही कहेंगे और जो मोह के बिना है उसको आध्यात्मिक।
Uncle yahan ‘आध्यात्मिक’ do baar aa gaya. Ise check karenge, please ?
इसमें तो आध्यात्मिक नहीं आ रहा (संसार और मोक्ष में)। किसी और का होगा।
‘जो ज्ञान मोह के सहित है उसे पारलौकिक तो कह ही नहीं सकते, आध्यात्मिक ही कहेंगे और जो मोह के बिना है उसको आध्यात्मिक।’ Aapke is comment me ‘आध्यात्मिक’ do baar aa gaya. Ise check karenge, please ?
लगता है कमेंट किसी और आइटम के लिए है क्योंकि “संसार और मोक्ष” में तो अध्यात्म दिखाई दे नहीं रहा ?
Okay.