संसार

अपने पराये का भेद ही संसार है ।
असल में ना कोई अपना है, ना पराया;
सब अपने अपने हैं ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

Share this on...

One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है – – – –
    आवागमन करने को संसार कहते हैं। कम॓ के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प़ाप्ती होना संसार है। जीव एक शरीर को छोडता है. दूसरा शरीर धारण करता है। इस प्रकार कम॓ के वशीभूत हुआ जीव मनुष्य. देव आदि चारों गतियाें मेंं परिभ़मण करता है अथवा क्षेत्र. काल. भाव ओर भव एेसे पंच परिवर्तन रुप संसार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

January 14, 2018

April 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930