अपने पराये का भेद ही संसार है ।
असल में ना कोई अपना है, ना पराया;
सब अपने अपने हैं ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – – –
आवागमन करने को संसार कहते हैं। कम॓ के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प़ाप्ती होना संसार है। जीव एक शरीर को छोडता है. दूसरा शरीर धारण करता है। इस प्रकार कम॓ के वशीभूत हुआ जीव मनुष्य. देव आदि चारों गतियाें मेंं परिभ़मण करता है अथवा क्षेत्र. काल. भाव ओर भव एेसे पंच परिवर्तन रुप संसार है।
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – – –
आवागमन करने को संसार कहते हैं। कम॓ के फलस्वरूप आत्मा को भवान्तर की प़ाप्ती होना संसार है। जीव एक शरीर को छोडता है. दूसरा शरीर धारण करता है। इस प्रकार कम॓ के वशीभूत हुआ जीव मनुष्य. देव आदि चारों गतियाें मेंं परिभ़मण करता है अथवा क्षेत्र. काल. भाव ओर भव एेसे पंच परिवर्तन रुप संसार है।