संसार

अशुभ और पाप ही संसार है – आचार्य समंतभद्र जी ;

ऐसा निर्णय होने पर अशुभोपयोग से बच सकते हैं ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. संसार का मतलब संसरण या आवागमन है, इसमें कर्म के अनुरूप फलादि, आत्मा को भवान्तर प्राप्ति होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि शुभ और पाप ही संसार है, लेकिन इसमें अशुभोपयोग से बच सकते हैं। जीवन में पापों से बचना ही परम आवश्यक है ताकि अशुभ कर्मों से बचा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

March 7, 2021

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930