(1 और 2 पंचम काल में नहीं)
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने संहनन एवं देवगति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने संहनन एवं देवगति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।