संहनन
मोक्ष की योग्यता, क्षपक-श्रेणी, क्षायिक सम्यग्दर्शन, क्षायिक चारित्र उत्तम-संहनन से ही प्राप्त होता है।
(श्री धवला जी की 17वीं पुस्तक – सतकर्म पञ्चिका – अनुवाद : मुनि श्री प्रणम्यसागर जी)
श्रद्धान के लिये शक्ति की ज़रूरत नहीं पर क्षय के लिये
उत्तम-संहनन ही चाहिये।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी