सक्रियता जीव (संसारी) व पुद्गल में ही होती है, अन्य द्रव्यों में नहीं।
संसारी जीव में पुद्गल (कर्म) के माध्यम से आती है;
जो जीव पुद्गल से जितना ज्यादा संबंध रखेगा, वह उतना ज्यादा Active/चलायमान रहेगा।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि सक़ियता जीव व पुद्गल में होती है,यह अन्य द़व्यों में नहीं होती है। संसारी जीव में पुद़ल यानी कर्म के माध्यम से आती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुद्गल से जितना सम्बन्ध रहेगा वह उतना एक्टिव एवं चलायमान रहेगा। अतः जीवन में धर्म में सक़ियता होना परमावश्यक है, इसके साथ सकारात्मक होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि सक़ियता जीव व पुद्गल में होती है,यह अन्य द़व्यों में नहीं होती है। संसारी जीव में पुद़ल यानी कर्म के माध्यम से आती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुद्गल से जितना सम्बन्ध रहेगा वह उतना एक्टिव एवं चलायमान रहेगा। अतः जीवन में धर्म में सक़ियता होना परमावश्यक है, इसके साथ सकारात्मक होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।