सक्रिय सम्यग्दर्शन
सिर्फ श्रद्धा नहीं, उसका अमल भी। ऐसा करने से सम्यग्दर्शन दोष रहित हो जाता है।
इसे ही सम्यक्त्वाचरण भी कहते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
सिर्फ श्रद्धा नहीं, उसका अमल भी। ऐसा करने से सम्यग्दर्शन दोष रहित हो जाता है।
इसे ही सम्यक्त्वाचरण भी कहते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
5 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने सक़िय सम्यग्दर्शन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘सम्यक्त्वाचरण ‘ aur ‘Samyakcharitra’ me kya difference hai? Ise clarify karenge, please ?
सम्यग्दर्शन होने पर क्या नहीं करना = सम्यत्वाचरण।
ऊपर(5 व आगे) के गुणस्थानों में क्या करना = सम्यक्चारित्र।
Okay.
The difference has been explained in a very beautiful way ! Jai Jiendra !