सच्ची विनय नय-ज्ञान से ही आती है ।
तब किसी एक पक्ष के प्रति आग्रह नहीं रह जाता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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विनय का मतलब पूज्य पुरुषो का आदर करना होता है अथवा रत्नत्रय धारण करने वालो का नम़ता के भाव रखना होगा।यह कथन सही है कि सच्ची-विनय नय-ज्ञान से आती है इसके अलावा उनके उनके प़ति श्रद्वा के भाव होना चाहिए, तभी सच्ची विनय कहला सकती है।
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विनय का मतलब पूज्य पुरुषो का आदर करना होता है अथवा रत्नत्रय धारण करने वालो का नम़ता के भाव रखना होगा।यह कथन सही है कि सच्ची-विनय नय-ज्ञान से आती है इसके अलावा उनके उनके प़ति श्रद्वा के भाव होना चाहिए, तभी सच्ची विनय कहला सकती है।