सत्यधर्म
धर्म तो सत्य है ही, फिर धर्म के आगे ‘सत्य’ लगाने की क्या ज़रूरत है ?
क्योंकि आज असत्य को भी धर्म कहने लगे हैं ।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
धर्म तो सत्य है ही, फिर धर्म के आगे ‘सत्य’ लगाने की क्या ज़रूरत है ?
क्योंकि आज असत्य को भी धर्म कहने लगे हैं ।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी