समता और ममता सौतन है।
एक को ज्यादा महत्त्व दिया तो दूसरी रुठ जाती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने समता एवं ममता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हमेशा समता का भाव रखना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने समता एवं ममता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हमेशा समता का भाव रखना परम आवश्यक है।