समर्पित इच्छाओं को श्रद्धेय के चरनों में समर्पित करता है, ज़िद्दी इच्छाओं की पूर्ती श्रद्धेय से कराना चाहता है, अपने जीवन को रद्दी बना देता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उक्त कथन सत्य है कि समर्पित इच्छायो को श्रद्धेय गुरु के चरणों में जो समर्पित या समपर्ण करता है वही अपने जीवन का कल्याण कर सकता हैं। अतः जब जिद्वी इच्छाओं यानी कुछ संसारिक और अपनी कल्पनाओं की पूर्ति हेतु समर्पित करता है वह निश्चय रद्वी की टोकरी में ही जावेगी।
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उक्त कथन सत्य है कि समर्पित इच्छायो को श्रद्धेय गुरु के चरणों में जो समर्पित या समपर्ण करता है वही अपने जीवन का कल्याण कर सकता हैं। अतः जब जिद्वी इच्छाओं यानी कुछ संसारिक और अपनी कल्पनाओं की पूर्ति हेतु समर्पित करता है वह निश्चय रद्वी की टोकरी में ही जावेगी।