समवसरण व्यवस्था

आचार्य कुंदकुंद के अनुसार आर्यिकाओं को दीक्षा नहीं दी जाती। इसीलिये उन्हें श्राविकाओं के कोठे में बैठाया जाता है।
देवियों को अलग-अलग कोठों में इसलिये बैठाते हैं क्योंकि उनकी लेश्यायें* अलग-अलग होती हैं।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

(* तथा पुण्य)

Share this on...

One Response

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने समवसरण व्यवस्था का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

October 11, 2024

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930