समवसरण व्यवस्था

आचार्य कुंदकुंद के अनुसार आर्यिकाओं को दीक्षा नहीं दी जाती। इसीलिये उन्हें श्राविकाओं के कोठे में बैठाया जाता है।
देवियों को अलग-अलग कोठों में इसलिये बैठाते हैं क्योंकि उनकी लेश्यायें* अलग-अलग होती हैं।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

(* तथा पुण्य)।

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4 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने समवसरण व्यवस्था का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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