सम्मान के भूखे हैं लोग यहाँ..,
दुआओं के नहीं ।
सैल्यूट मारने वाले को सौ रुपये…
और..
दुआएं देने वाले को चिल्लर देते हैं लोग ।
(सुरेश)
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उक्त कथन सत्य है कि आजकल लोग सम्मान के लिए भूखे यानी तरसते हैं जबकि दुआओं के लिए नहीं रहते हैं। अतः जीवन में सम्मान की अपेक्षा नहीं रखना चाहिए बल्कि दूसरों को सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए ताकि उसकी दुआये मिल सकतीं हैं। जीवन में कल्याण के लिए दुआओं की आवश्यकता है। दुआओं के लिए जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए। जीवन में किसी को मुसीबत से बचाते हैं या गुरु और भगवान् के गुणों को आत्मसात करते हो तभी दुआयें मिल सकतीं हैं।
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उक्त कथन सत्य है कि आजकल लोग सम्मान के लिए भूखे यानी तरसते हैं जबकि दुआओं के लिए नहीं रहते हैं। अतः जीवन में सम्मान की अपेक्षा नहीं रखना चाहिए बल्कि दूसरों को सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए ताकि उसकी दुआये मिल सकतीं हैं। जीवन में कल्याण के लिए दुआओं की आवश्यकता है। दुआओं के लिए जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए। जीवन में किसी को मुसीबत से बचाते हैं या गुरु और भगवान् के गुणों को आत्मसात करते हो तभी दुआयें मिल सकतीं हैं।