सम्मान/ प्रतिष्ठा की चाहत उतनी ही करनी चाहिए,
जितना देने का सामर्थ्य रखते हो।
क्योंकि….
जो देते हो उससे ज्यादा वापिस कैसे और क्यों मिलेगा !
(अनुपम चौधरी)
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2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्मान एवं प़तिष्ठा की चाहत उतनी करना चाहिए जितना देने का सामर्थ्य रखते हो! जो देते हो उससे ज्यादा मिलना मुश्किल है! अतः जीवन में दूसरों को सम्मान एवं प़तिष्ठा देना चाहिए ताकि आपको भी उनसे प़ाप्त हो सकती है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्मान एवं प़तिष्ठा की चाहत उतनी करना चाहिए जितना देने का सामर्थ्य रखते हो! जो देते हो उससे ज्यादा मिलना मुश्किल है! अतः जीवन में दूसरों को सम्मान एवं प़तिष्ठा देना चाहिए ताकि आपको भी उनसे प़ाप्त हो सकती है!
मान तो सम्मान है,
लेन देन की चीज।
आपस में देते रहें,
मन जाएगी रीत।।