सम्यग्दर्शन के अंग

सम्यग्दर्शन के 8 अंगों में से पहले 4 व्यक्तिगत हैं/स्वयं के लिये – निशंकित, निकांक्षित, निर्विचिकित्सा, अमूढ़दृष्टि।
इनके प्रतीक हैं – दोनों पैर और दोनों हाथ, इनसे ही तो व्यक्त्ति अपने व्यक्त्तिगत सारे काम करता है।

चिंतन

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