यदि सम्यग्दर्शन को बंध (देवायु) का कारण मानें तो मुक्ति का क्या कारण मानें ?
दोनों कारण मानने में भी आपत्ति नहीं, जैसे छाता गर्मी तथा बर्फ से भी बचाता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 6/21)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए सम्यग्दर्शन की प़ाप्ती परम आवश्यक है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए सम्यग्दर्शन की प़ाप्ती परम आवश्यक है।