तत्त्वों के अर्थ तो अलग-अलग ले सकते/ लिये जाते हैं। इसलिये प्रयोजनभूत तत्त्वों के सम्यक् अर्थ पर श्रद्धान से सम्यग्दर्शन कहा है।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए सम्यग्दर्शन प़ाप्त करने का प़यास करना परम आवश्यक है
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने सम्यग्दर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए सम्यग्दर्शन प़ाप्त करने का प़यास करना परम आवश्यक है