समंतभद्र स्वामी बीमारी में राजा शिवकोटि के पास क्यों गये, अपने घर भी तो जा सकते थे ?
सम्यग्दृष्टि शरीर से गिरता भी है तो कुछ लेकर ही उठता है । उनके चमत्कार से शिवकोटि मुनि बने, भगवती- आराधना की रचना की, उनकी प्रजा ने भी वीतराग-धर्म अपनाया ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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सम्यग्दर्शन- -सच्चे देव शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्वान का नाम है। इसके दो भेद होते हैं निश्चय और व्यवहार। अतः उक्त कथन सत्य है कि समन्तभ़द स्वामी बीमारी में राजा शिवकोट के पास गये थे पर सम्यग्द्विष्टि का पालन कर रहे थे।सम्यग्द्विष्टि गिरता भी है और ऊपर भी कुछ लेकर उठता भी है। अतः सम्यगद्विष्टी के कारण ही शिवकोटि मुनि बने और भगवती आराधना की रचना की थी और उन्होंने वीतराग धर्म अपनाया था।
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सम्यग्दर्शन- -सच्चे देव शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्वान का नाम है। इसके दो भेद होते हैं निश्चय और व्यवहार। अतः उक्त कथन सत्य है कि समन्तभ़द स्वामी बीमारी में राजा शिवकोट के पास गये थे पर सम्यग्द्विष्टि का पालन कर रहे थे।सम्यग्द्विष्टि गिरता भी है और ऊपर भी कुछ लेकर उठता भी है। अतः सम्यगद्विष्टी के कारण ही शिवकोटि मुनि बने और भगवती आराधना की रचना की थी और उन्होंने वीतराग धर्म अपनाया था।