सर्वज्ञता

बिना ज्ञेय में प्रवेश किये, सर्वज्ञ ही जानते हैं,
निर्लिप्तता में जो आनंद/पूर्णता, वह लिप्तता में कहाँ !
ममता से शून्यता, उसे जो समता से पूर्ण होगा;
ममता युक्त जन्म मरण देखता है, समता युक्त उसके परे भी ।

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One Response

  1. सकल चराचर जगत को प़त्यक्ष रुप से जानने वाले अंर्हंन्त व सिद्ध भगवान् होते हैं।
    अतः उक्त कथन सत्य है कि निर्लिप्तता में जो आनंद या पूर्णता होती वह लिप्तता में नहीं होती है। ममता में शून्यता वाला ही समता में पूर्ण होगा। ममता युक्त, जन्म मरण देखता है, जबकि समता युक्त उसके परे भी ।

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