पूरे साधक कारण मारीच के पास थे पर बाधक कारण (पाप कर्म तथा वर्तमान का घमंड) न हटने की वजह से कोड़ा-कोड़ी सागर तक भटकता रहा।
मुनि श्री अरुणसागर जी
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मुनि श्री अरुणसागर महाराज ने साधक एवं बाधक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में साधक बनना है तो पाप एवं घंमड को छोडना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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मुनि श्री अरुणसागर महाराज ने साधक एवं बाधक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में साधक बनना है तो पाप एवं घंमड को छोडना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!