साधना
संसार में मन की बात ज़ुबान पर ना आने देना, ज़ुबान की बात/शरीर पर ना आने देना,
तथा धर्म में मन से वचन, वचन से शरीर की क्रियाओं में लाना ही, साधना है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
संसार में मन की बात ज़ुबान पर ना आने देना, ज़ुबान की बात/शरीर पर ना आने देना,
तथा धर्म में मन से वचन, वचन से शरीर की क्रियाओं में लाना ही, साधना है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
3 Responses
साधना के लिए धम॓ से मन वचन ओर शरीर की क़ियायों में लाना ही होगा तभी कल्याण होगा। धमॅ में मन. वचन और काया की ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
Can the meaning of the post be explained please?
संसार के हर काम में पाप-बंध है,
यदि पाप विचार बनकर ही रुक जाय तो 2/3 बच गया ।
जबकि धर्म में बढ़ाना है सो मन की बात को वचन और action में लाओ ।