साधना
पार्किंसंस रोग होने पर हाथ कंपने को रोकने के लिये कहते हैं –> “साधौ”।
विचारों के चलायमानता को रोकने को साधना कहते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
पार्किंसंस रोग होने पर हाथ कंपने को रोकने के लिये कहते हैं –> “साधौ”।
विचारों के चलायमानता को रोकने को साधना कहते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
2 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने साधना को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए जीवन में जो फालतू के विचार आते हैं उसके लिए साधना परम आवश्यक है।
Yeh nayi aur interesting baat maharajshri ke maadhyam se malum padi.Namostu Gurudev!