सार्थक उम्र

बड़े-बड़े संत छोटी-छोटी उम्र में अपना और हजारों का कल्याण करके चले गये (जैसे गुरुवर श्री क्षमासागर जी)। भगवान महावीर को ज्ञान की प्राप्ति ४२ वर्ष की आयु में हो गयी थी।
हम 80-90 साल की उम्र में कुछ भी सार्थक नहीं कर पाते हैं क्योंकि अधिकतर समय हम बेकार करते रहते हैं।

अंजू-कोटा (चिंतन)

Share this on...

One Response

  1. सार्थकता का मतलब उपयोगिता होती है। ‌‌‌‌‌ उपरोक्त कथन सत्य है कि आजकल लोगों की उम्र अधिक होने पर भी जीवन को सार्थक नहीं बना पाते हैं,इसका मुख्य कारण अधिकतर समय व्यर्थ में गंवा देते हैं। अतः जीवन को सार्थक बनाना है तो शुरू से धर्म से जुड़ना परम आवश्यक है ताकि जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। अतः 60 वर्ष के बाद संन्यास लेना चाहिए ताकि बढ़ती उम्र में अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

May 21, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930