सार्वजनिकता
आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते हैं… “जो काम पत्र से हो जाय उसके लिये पत्रिका का सहारा क्यों ?”
मुनि श्री संधानसागर जी
आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते हैं… “जो काम पत्र से हो जाय उसके लिये पत्रिका का सहारा क्यों ?”
मुनि श्री संधानसागर जी
6 Responses
मुनि श्री संधानसागर का कथन सत्य है कि जो काम पत्र से हो सकता है उसके लिए पत्रिका का सहारा क्यों लिया जावे। अतः सार्वजनिकता के लिए कम से कम साधन का उपयोग करना है, जिससे अपव्यय से बचा जा सकता है!
Yahan par ‘पत्र’ ka kya meaning hai, please ?
कल्पेश भाई ने बताया कि ये कब बोला गया था …आचार्य श्री के पास एक विद्वान आते थे। आ.श्री के किसी निर्णय से वे असहमत हुए, तुरंत उन्होंने पत्रिका में लेख लिख दिया था।
Par is post me, ‘पत्र’ kisko denote karta hai ?
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Okay.