सासादन

“स” = सहित + “आसादन” = विराधना
सासादन के साथ सम्यग्दर्शन लगा है क्योंकि मिथ्यादृष्टि नहीं है। सम्यग्दर्शन(प्रथमोपशम/ द्वितीयोपशम) जैसी ऊंचाई से गिरा है सो जल्दी उठ नहीं पाता, संख्यातवर्षियों को एक जीवन काल में दुबारा प्रथमोपशम नहीं होता।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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5 Responses

  1. ‘संख्यात-varshi’ to sabhi hote hain, na ? To alag se संख्यातवर्षियों को kyun specify kiya ?

    1. भोगभूमिज को एक जीवन काल में एक से अधिक बार भी हो सकता है।

  2. ‘भोगभूमिज’ bhi to ‘संख्यात-varshi’ ki classification me hi aayenge, na ?

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