सेवा

सेवा करना चाहते हो तो ग्लानि और गाली को जीतना होगा।
सेवा करने की क्षमता और गाली सहने की समता बढ़ानी होगी।

मुनि श्री सौम्यसागर जी

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3 Responses

  1. मुनि श्री सौभाग्य सागर का सेवा के लिए जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! सेवा करते समय ग्लानि और गाली आदि के भाव नहीं होना चाहिए बल्कि सेवा के लिए मन में प़सन्नता होनी चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!

  2. Samajik aur dharmik karyon mein kaafi baar Aisa hota hai ki hum niswarth seva bhav se kuch accha karna chahte Hain, parantu koi na koi humko tok deta hai ya burai karta hai to kahin na kahin manobal aur dilchaspi kam hoti hai….maharaj shri ne kitni soumyata se yeh baat samjhai ki aapko seva karna hai toh logon ki katu bataen sun ne ka bhi abhyaas rakhna hoga.

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