सौगंध
गंध खायी नहीं जा सकती, ऐसे ही जिसकी सौगंध ली जा रही हो जैसे “भगवान की”, तो उसे भी तो खा नहीं सकते ।
अत: सौगंध नहीं खाना चाहिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
गंध खायी नहीं जा सकती, ऐसे ही जिसकी सौगंध ली जा रही हो जैसे “भगवान की”, तो उसे भी तो खा नहीं सकते ।
अत: सौगंध नहीं खाना चाहिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उक्त कथन सत्य है कि गंध खायी नहीं जा सकती है,ऐसे ही जो सौगंध ली जाती है जैसे भगवान आदि की ली जाती है तो उसे तो खा नहीं सकते हैं।
अतः जीवन में कभी सौगंध नहीं खाना चाहिए यह परिपाटी जो चली आ रही है उसका जीवन में उपयोग नहीं करना चाहिए।
Vaise, shabdik vyakhya ke atirikt, “Saugandh” kyun nahin leni chahiye?
1- विश्वास की कमी
2- सौगन्ध खाने की आदत पड़ जाने पर, झूठ बोलते समय भी सौगन्ध खाते हैं; सामने वाला सच बोलने पर भी विश्वास नहीं करता ।