स्कंध – सभी प्रकार के परमाणु पिण्ड
स्पर्धक – कर्म की अनुभाग शक्त्ति बताने के लिये।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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स्कंध का तात्पर्य परमाणुओं में परस्पर बंध हो चुका है, उसे कहते हैं। पृथ्वी,जल,आकाश,छाया आदि सभी पुदगल स्कंध होते हैं, इसके भी छह भेद हैं।
अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि स्कंध सभी प़कार के परमाणु पिण्ड होते हैं।स्पर्धक कर्म की अनुभाग शक्ति बताने के लिए होते हैं।
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स्कंध का तात्पर्य परमाणुओं में परस्पर बंध हो चुका है, उसे कहते हैं। पृथ्वी,जल,आकाश,छाया आदि सभी पुदगल स्कंध होते हैं, इसके भी छह भेद हैं।
अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि स्कंध सभी प़कार के परमाणु पिण्ड होते हैं।स्पर्धक कर्म की अनुभाग शक्ति बताने के लिए होते हैं।