स्वभाव 2 प्रकार का –
1. स्वाभाविक
2. वैभाविक – बहुत समय तक विभाव में रहने के कारण, विभाव भी स्वभाव बन जाता है/ लगने लगता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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विभाव–स्वभाव के विपरीत परिणमन करना विभाव है। कर्म के उदय से होने वाले जीव के रागादि भावों को विमाव कहा गया है। अतः स्वभाव दो प्रकार का होता है 1 स्वाभाविक 2 वैभाविक । अतः यह कथन सत्य है कि बहुत समय तक विभाव में रहने के कारण,विभाव भी स्वभाव बन जाता है या लगने लगता है।
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विभाव–स्वभाव के विपरीत परिणमन करना विभाव है। कर्म के उदय से होने वाले जीव के रागादि भावों को विमाव कहा गया है। अतः स्वभाव दो प्रकार का होता है 1 स्वाभाविक 2 वैभाविक । अतः यह कथन सत्य है कि बहुत समय तक विभाव में रहने के कारण,विभाव भी स्वभाव बन जाता है या लगने लगता है।