दूसरों के प्राणों की रक्षा से पहले अपने प्राणों का सम्मान करें।
भगवान की मूर्ति भी प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूज्य बनतीं हैं।
हम पूज्यता चाहते हैं तो अपने प्राणों को प्रतिष्ठित करें।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
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स्वयं का सम्मान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए स्वयं का सम्मान की आशा नहीं करना चाहिए बल्कि दूसरों का सम्मान का भाव रखना परम आवश्यक है।
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स्वयं का सम्मान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए स्वयं का सम्मान की आशा नहीं करना चाहिए बल्कि दूसरों का सम्मान का भाव रखना परम आवश्यक है।