स्वाध्याय

“स्वस्थ अध्यायः स्वाध्यायः”
ऐसा शास्त्र पठन जिससे निजी आत्मतत्व पुष्ट/ विकसित होता हो, वह स्वाध्याय है।
मात्र लिखना/ पढ़ना स्वाध्याय नहीं बल्कि आलस्य/ असावधानी के त्याग को स्वाध्याय कहते हैं।
गुरु निर्देश में किया गया स्वाध्याय वैराग्य का फल प्रदान कर पर्त दर पर्त चेतना का शोधन करता है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने स्वाध्याय का उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! उपरोक्त कथन सत्य है कि मात्र लिखना या पढना स्वाध्याय नहीं बल्कि आलस्य एवं असावधानी के त्याग को स्वाध्याय कहते हैं! अतः जीवन में स्वाध्याय से व्रतों को लेकर बैराग्य का मार्ग अपनाना ही कल्याण का मार्ग होगा!

  2. ‘पर्त दर पर्त चेतना का शोधन करता है’ ka kya meaning
    hai, please ?

    1. अनादि से चेतना के ऊपर पड़ीं मोह पर्तों को स्वाध्याय एक-एक करके हटाता जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 31, 2023

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031