स्व-पर
अन्य द्रव्यों में परिणाम – यदि शुभ तो पुण्य, अशुभ तो पाप ।
स्वयं में परिणाम – दु:खों का क्षय ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
अन्य द्रव्यों में परिणाम – यदि शुभ तो पुण्य, अशुभ तो पाप ।
स्वयं में परिणाम – दु:खों का क्षय ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
4 Responses
द़व्य– गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं या जो उत्पाद व्यय और धौव्य से युक्त है उसे द़व्य कहते हैं। द़व्य छह हैं जीव अजीब पुदगल धर्म अधर्म आकाश और काल। अतः यह कथन सत्य है कि अन्य द़वो में परिणाम होते हैं यदि शुभ तो पुण्य और अशुभ तो पाप लेकिन स्वयं में परिणाम होते हैं तो दुखों का क्षय होता है।
Can meaning of the post be explained please?
“पर” में जाओगे तो कर्म तो बंधेंगे ही, यदि भाव शुभ होंगे तो पुण्य बंध अन्यथा पापबंध ।
अपने में रहोगे तो कर्म-क्षय ।
Okay.