148 कर्म प्रकृतियां

148 कर्म प्रकृतियों में से तिर्यंच, मनुष्य और देव आयु को छोड़ कर शेष 145 प्रकृतियों की तीव्र कषाय में स्थिति ज्यादा पड़ती है और इन तीन की कम ।
इन 145 प्रकृतियों की मंद कषाय में स्थिति कम पड़ती है और इन तीन आयु प्रकृतियों की स्थिति ज्यादा पड़ती है।
148 प्रकृतियों के दो भाग करें तो पाप प्रकृतियां 100 हैं और पुण्य प्रकृतियां 48 ।
अर्थात् तीव्र कषाय से 100 का अनुभाग ज्यादा पड़ता है तथा 48 प्रकृतियों का अनुभाग कम पड़ता है ।
और मंद कषाय से 100 प्रकृतियों का अनुभाग कम पड़ता है तथा 48 प्रकृतियों का अनुभाग ज्यादा पड़ता है ।

श्री रतनलाल बैनाडा जी

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