Month: November 2009
पुरूषार्थ
November 20, 2009
एक बेटी ने कहा- आज भगवान ने मेरी इच्छा पूरी कर दी। उसके छोटे से भाई(रेयन) ने कहा – ये सही नहीं है, आज परीक्षा में मुझे
चाह
November 18, 2009
एक व्यक्ति ने कहा – चाय छोड़नी है। आचार्य श्री – चाय छोड़ने से पहले चाय की चाह छोड़नी चाहिये। आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्म
November 17, 2009
जीवों के कर्म ही उनके बंधन और मोक्ष के जन्मदाता हैं, आत्मा की कोई भूमिका नहीं है। आत्मा तो पंगु के समान है, तीन लोक
आत्मा
November 16, 2009
Q. आत्मा दिखती नहीं है, कैसे विश्वास करें ? A. दूध में मक्खन दिखता है? पहले दूध को तपाओ (तप),
दुखः
November 15, 2009
पंचम काल में असहनीय दुखः होते ही नहीं हैं, असहनीय दु:ख तो नरक में ही होते हैं। (श्री कल्पेश भाई) (हम तो दु:खों को सह पा
गहरा ज्ञान
November 14, 2009
ज्ञान के इतनी गहराई में जाने की क्या ज़रूरत है ? स्व. श्री राजेन्द्र भाई यदि गाड़ी के बारे में गहरा ज्ञान हो तो, जब गाड़ी अटक
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