Month: November 2009

पुरूषार्थ

एक बेटी ने कहा- आज भगवान ने मेरी इच्छा पूरी कर दी। उसके छोटे से भाई(रेयन) ने कहा – ये सही नहीं है, आज परीक्षा में मुझे

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क्रोध

क्रोध स्वंय के साथ संवाद समाप्त कर देता है। ड़ा. अमित

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चाह

एक व्यक्ति ने कहा – चाय छोड़नी है। आचार्य श्री – चाय छोड़ने से पहले चाय की चाह छोड़नी चाहिये। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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कर्म

जीवों के कर्म ही उनके बंधन और मोक्ष के जन्मदाता हैं, आत्मा की कोई भूमिका नहीं है। आत्मा तो पंगु के समान है, तीन लोक

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आत्मा

Q.  आत्मा दिखती नहीं है, कैसे विश्वास करें ? A. दूध में मक्खन दिखता है? पहले दूध को तपाओ (तप),          

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दुखः

पंचम काल में असहनीय दुखः होते ही नहीं हैं, असहनीय दु:ख तो नरक में ही होते हैं। (श्री कल्पेश भाई) (हम तो दु:खों को सह पा

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गहरा ज्ञान

ज्ञान के इतनी गहराई में जाने की क्या ज़रूरत है ? स्व. श्री राजेन्द्र भाई यदि गाड़ी के बारे में गहरा ज्ञान हो तो, जब गाड़ी अटक

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मंगल आशीष

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November 20, 2009

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