Month: January 2010

द्रढ़ता

आयुष जैन (गुना ) 12 साल के बच्चे ने  आचार्य श्री के श्री मुख से सुना कि एक शराबी हर समय शराब पीता था, उसे

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व्रत

पहले से चौथे गुणस्थान में जो व्रत नियम लिये जाते हैं वे चारित्र मोहनीय के क्षयोपशम से नहीं होते बल्कि चारित्र मोहनीय के मंद उदय

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धर्म-पुरूषार्थ

शुभ सरस्वती है तथा लाभ लक्ष्मी है । पर हम सब लाभ ही लाभ के पीछे लगे रहते हैं । शुभ बढ़ा लो ( अपने

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केवली

केवली भगवान के असाता का भी उदय होता है पर अनुभाग बहुत कम । साथ-साथ साता का भी लगातार उदय होता रहता है । चूंकि

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दिगम्बरत्व

मुसलमान समुदाय के अबुल कासिम गिलानी और सरमद, औरंगजेब बादशाह के समय फ़कीर हुये, जिन्होंने दिगम्बरत्व को अपनाया । बादशाह के पूछ्ने पर कि आप

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पर्याप्तियां

6 पर्याप्तियां शुरू तो साथ-साथ होती हैं, पर पूर्ण अलग-अलग । जैसे पुली – चेन में सारी पुलीयां Move करना एक साथ शुरू करतीं हैं,

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नग्नता

कलकत्ता की तरफ विहार करते समय एक पुलिस एस. पी. साथ में चल रहे थे । उन्होंने गुरू श्री से पूछा – नग्नता से क्या

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उदीरणा

आचार्य श्री के अनुसार :- सामान्यतः कर्मों की दसवें गुणस्थान तक उदय, सत्ता, उदीरणा चलती रहती है । यह नियम है अन्यथा उदय कार्यकारी नहीं

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प्रतिस्पर्धा

प्रश्न : – मारीच आदिनाथ भगवान से नाराज़ था तो उनके समवसरण में क्यों जाता था ? उत्तर :- यह देखने जाता था कि समवसरण

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मंगल आशीष

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January 31, 2010