Day: January 14, 2010

भाग्य/पुरूषार्थ

जो सहजता से मिले, वह भाग्य। जो मेहनत से मिले, वह पुरूषार्थ।। आर्यिका श्री प्रज्ञामति माताजी

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स्वरूपाचरण

स्वरूपाचरण चारित्र का नाम किसी भी पुराने आचार्य ने शास्त्रों में नहीं लिखा है । श्री रतनलाल बैनाडा जी

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मंगल आशीष

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January 14, 2010