Month: January 2010

गुरू

गुरू समाज की सेवा नहीं, हित करते हैं ।

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संज्वलन कषाय

जघन्य स्थिति * क्रोध – 2 माह * मान – 1 माह * माया – 15 दिन * लोभ – अंतर्मुहुर्त (सबका वासना काल अंतर्मुहुर्त)

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क्षमा

क्षमा उस फूल से सीखें जो कि पैरों से कुचलते हुये भी खुशबू बिखेरता है । (श्री संजय)

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वेद

स्त्रीवेद के मुख्य कारण – अत्यधिक राग, दूसरों को दोष देना, मायाचारी और असत्य भाषण । नपुंसक वेद के मुख्य कारण – कषायों की तीव्रता,

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सफलता

जो अपने ऊपर फेंके गये पत्थरों से मकान बना ले, वही सफल व्यक्ति है ।

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तप

तप से अशुभकर्म की निर्जरा होती है । श्रेणी पर चढ़ने वाले मुनिराजों के पुण्य की भी स्थिति कम हो जाती है और अनुभाग बढ़

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साधु

कम खाना, कम सोचना, कम दुनिया से प्रीति। कम कहना मुख से वचन, यही साधू की रीति।। मुनि श्री योगसागर जी

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नववर्ष

गत वर्ष के साथ – मिट जाये तिमिर मिथ्यात्व तेरो । नव वर्ष में – उदय रवि आतम हो, भाग्य तेरा उदय आए कि प्रभु

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पंचमकाल से विदेह

पंचमकाल में जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र से 123 जीव विदेह जाकर मोक्ष जायेगें । श्री रतनलाल बैनाडा जी

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मंगल आशीष

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January 5, 2010