Day: February 3, 2010

निंदा/परनिंदा

निंदा :- सच्चे झूठे दोषों को प्रकट करने की इच्छा । परनिंदा :- ईर्ष्यावश की गई निंदा ।

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अनुभाग बंध

तीव्र कषाय से – घातिया और अघातिया की पाप प्रकृतियों का अनुभाग ज्यादा होता है । पं. रतनलाल बैनाडा जी

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मंगल आशीष

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February 3, 2010