Day: February 16, 2010

संत

जो सांप जैसा अनिश्चित विहार करे, जो सिंह जैसी वृत्ति करे, जिसमें बैल जैसी वफादारी हो, और जो वायु की तरह निष्कंप हो ।

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आस्रव

कार्मण वर्गणाओं का कर्मरूप परिवर्तित होना । पं. रतनलाल बैनाडा जी

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मंगल आशीष

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February 16, 2010