Month: February 2010

संभावनायें

हम अच्छे इसलिये नहीं हैं क्योंकि दुनिया हमें अच्छा कहती है, बल्कि इसलिये अच्छे हैं क्योंकि हममें अच्छा बनने की संभावनायें अच्छी हैं । चिंतन

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बुद्धि

जिसका दिमाग (ज्ञान) ज्यादा चलता है, उसके पैर (चारित्र) कम चलते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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तीर्थंकर प्रकृति

मिथ्यात्व गुणस्थान में भी तीर्थंकर प्रकृति का सत्त्व रहता है ( दूसरा या तीसरा नरक जिन्होंने पहले से बांध लिया है उनका नरक जाते समय

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शरण

महावीर भगवान ने कहा मेरी शरण में नहीं, अपनी शरण में जा और मेरे जैसा बन जा ।

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विश्रसोपचय

आत्मा के प्रत्येक प्रदेश पर अनंतानंत कार्मण वर्गणायें स्थित रहती हैं । पं. रतनलाल बैनाडा जी

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मंदिर

मंदिर तो न्यायालय हैं जिनमें पाप और पुण्य का Account देखा जाता है ।

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उदय/बंध/सत्ता

ट्रेन में जाते समय, जो रास्ते में उतरे वो उदय, यात्रियों का चढ़ना बंध और जो ट्रेन में रहे आए वो सत्ता। मुनि श्री योगसागर

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तिथि

तिथियां तो 15 या कम होतीं हैं, पर उन तिथियों में किसी अतिथी के आने या जाने से वे पूज्य हो जातीं हैं । आचार्य

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निंदा/परनिंदा

निंदा :- सच्चे झूठे दोषों को प्रकट करने की इच्छा । परनिंदा :- ईर्ष्यावश की गई निंदा ।

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मंगल आशीष

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February 8, 2010