Day: March 14, 2010

स्वभाव

बत्तीस दांतों में से एक के गिरते ही जीभ बार-बार उसी पर जाती है । हमारा स्वभाव कमी को देखने का ही है |

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उपशम

उदय, उदीरणा, उत्कर्षण, अपकर्षण, परप्रकृति-संक्रमण, स्थिति-कांड़क घात, अनुभाग-कांड़क घात के बिना ही कर्मों के सत्ता में रहने को उपशम कहते हैं । कर्मकांड़ गाथा :

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मंगल आशीष

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March 14, 2010