Day: March 23, 2010

अनंतानुबंधी कषाय

अनंतानुबंधी कषाय दुमुखी है – सम्यक्त्व व चारित्र दौनों को सांप की तरह दौनों मुँह से खाती है । मुनि श्री आर्जवसागर जी

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मंगल आशीष

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March 23, 2010